शिशु की देखभाल. …Series 1. Dr Aman Urwar MBBS DCH PGPN (Boston Univ., USA).
बारिश के मौसम में शिशु की देखभाल कैसे करें. DR AMAN URWAR.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. बारिश के पानी से बच्चे को बचाना चाहिए . चुकी बच्चे को नंगे पाँव बगीचे में खेलना अच्छा लगता है लेकिन सड़क/ बगीचे पे जमाव पानी से बच्चे को दूर रखें. हमेशा अपने हाथों को सैनिटायज़ करें और बच्चे के शरीर को साफ़ करें. याद रखें - बच्चे को साफ़ रखना उसके सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है..
DR AMAN URWAR. abstract. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. बारिश का मौसम सुहावना तो लगता है लेकिन अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है । वहीं बच्चों और शिशु का इस मौसम में खास ख्यान रखना पड़ता है क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता है कि वो बीमारियां एवं संक्रमणों से लड़ सकें ।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. जितना संभव हो सके बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराएं क्योंकि यह आपके बच्चे को एंटीबॉडी, विटामिन और मिनरल जैसे न्यूट्रिएंट प्रदान करती है, जो बच्चे को बीमारियों से प्रोटेक्ट करने में मदद करते हैं। इसलिए एक माँ को अच्छी डाइट लेनी चाहिए क्योंकि बच्चे को न्यूट्रिएंट माँ के दूध के जरिए प्राप्त होते हैं।.
21 Incredible Uses Of Coconut Oil For Babies. DR AMAN URWAR.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. बारिश के मौसम में हर कुछ घंटों में मौसम की नमी और ठंडक में उतार-चढ़ाव के साथ, अपने बच्चे को सही तरीके से कपड़े पहना कर रखें। अपने बच्चे को लपेटने के लिए हमेशा एक स्वैडल संभाल कर रखें। वातावरण में नमी बढ़ने से शिशुओं को भी डायपर रैशेज होने का खतरा होता है। अपने बच्चे के डायपर को समय-समय पर बदलती रहें। उन्हें कुछ देर तक डायपर-मुक्त रखें। साथ ही हवा की आवाजाही के लिए कॉटन डायपर का प्रयोग करें।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. मानसून के दौरान अपने बच्चे को धूल-मिट्टी वाले परिवेश से या किसी बीमार व्यक्ति से दूर रखें। मौसम परिवर्तन के दौरान आपके शिशु को संक्रमण होने का खतरा हो सकता है, विशेष रूप से मानसून के दौरान तापमान में लगातार परिवर्तन से उसे दिक्कत हो सकती है।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. बच्चे को सिंथेटिक कपड़े पहनाने से पूरी तरह बचें, क्योंकि इससे पसीना अधिक निकलता है और ह्यूमिड मौसम के दौरान बच्चे को होने वाली परेशानी भी बढ़ जाती है।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. मानसून के मौसम में अपने बच्चे को जितना हो सके घर के अंदर रखें। मच्छरदानी का उपयोग करें ताकि वेक्टर जनित संक्रमणों को रोका जा सके।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. मालिश से जहां बच्चें की हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। वहीं बारिश के ठंडक के मौसम में तेल की मालिश से शरीर को गर्माहट महसूस होती है। जिससे उसके बीमार होने का खतरा कम हो जाता है। मालिश के लिए हमेशा सरसों का तेल या ठंडे तेलों का ही इस्तेमाल करें।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. कितनी बार नहलाएं : बारिश में मौसम में ठंडक आ जाती हैं। इसके अलावा पानी की वजह से कई सारे गंभीर इंफेक्शन फैलने का डर रहता है । ऐसे में आप बच्चों को पानी से ज्यादा से ज्यादा दूर रखें। छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोध क्षमता बेहद कमजोर होती है। जिसकी वजह से उनका शरीर बैक्टीरिया और उससे होने वाली बीमारियों से लड़ नहीं पाता है । नवजात शिशु को बारिश के मौसम में सप्ताह में 2-3 बार नहलाना भी उचित रहेगा। क्योंकि आमतौर पर नवजात शिशु बिस्तर पर लेटे रहते हैं। जिससे वो ज्यादा गंदा नहीं होते। खासकर अगर आप मल-मूत्र के बाद उनकी अच्छी सफाई करते हैं।.
DR AMAN URWAR. . नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. बच्चों का आहार : सर्दी और गर्मी की ही तरह बारिश के मौसम में भी नवजात शिशु के आहार का खास ख्याल रखना चाहिए। आमतौर पर 0-6 महीने तक के नवजात शिशु मां का दूध ही पीते हैं। जिसमें पानी की भरपूर मात्रा होती है। जबकि उससे बड़े बच्चों को गर्मी लगने या पसीना आने पर उन्हें पानी पिला सकते हैं। लेकिन कभी भी नल का या बोतल का पानी न पिलाएं, उसमें बैक्टीरिया हो सकते हैं। आप छोटे बच्चों को पानी उबालकर ठंडा करके ही पिलाएं।.
. DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. घर की खिड़कियां : मॉनसून से पहले ही घर की दीवार और खिड़कियां जरूर चेक कर लें । दीवारों या छत पर आने वाली सीलन से भी कई तरह की बीमारियां फैलती हैं। बरसात के बाद यदि दीवारों में फफूंद और फंगस लग रही है, तो इसे तुरंत हटाएं और दीवार की मरम्मत करवाएं। गीले माहौल में रहने के कारण शिशु को सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारियों का खतरा तो होता ही है। इसके साथ ही कई बार वे किसी गंभीर बीमारी का भी शिकार हो सकते हैं।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. एलर्जी चेक करते रहें : बारिश के मौसम में एलर्जी होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसलिए बच्चों के शरीर पर दिखने वाले छोटे मोटे रैशेज, दाद, खुजली आदि को नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये तेजी से फैल सकता है। एलर्जी होने पर अपने मन से या मेडिकल स्टोर से खुद ही कोई क्रीम खरीदकर न लगाएं, क्योंकि शिशु की त्वचा वयस्कों से बहुत अलग और सेंसिटिव होती है। वयस्कों की क्रीम शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकती है।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. गुनगुने पानी से हो स्पॉन्जिंग स्वच्छता के नजरिए से अधिकांश माता-पिता यही सोचते हैं कि बच्चों को रोजाना नहलाना चाहिए। लेकिन ऐसा न करें। बच्चे को रोजाना नहलाने से कोई फर्क नहीं पड़ता यदि उसे छूते या खिलाते पिलाते या उसे टॉयलेट या स्टूल करने के बाद साफ-सफाई न रखी जाए। ऐसे में अभिभावक चाहें तो हर दो या तीन दिन के गैप से बच्चे को नहलाएं। अधिक ठंड है तो आप केवल स्पॉन्जिंग कर भी उसके शरीर को क्लीन कर सकते हैं। ध्यान रखें स्पॉन्जिंग गुनगुने पानी से करें वर्ना उसकी त्वचा को नुकसान होगा।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. न हो केमिकल का प्रयोग शिशु की त्वचा काफी संवेदनशील और नाजुक होती है। ऐसे में सर्दी के मौसम में यदि ज्यादा गर्म पानी का प्रयोग करेंगे तो त्वचा रूखी हो सकती है। त्वचा में मॉइश्चर बरकरार रखने के लिए जरूरी नहीं कि आप कोई केमिकल प्रोडक्ट जैसे क्रीम या लोशन प्रयोग में लें। आप स्पॉन्ज के दौरान इस्तेमाल हो रहे पानी में ऑलिव ऑयल, नारियल या सरसों के तेल की कुछ बंूदें डाल सकते हैं।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. पूरी तैयारी रखें जब भी आप शिशु को नहलाने जा रहे हैं तो उससे जुड़ी सभी तैयारी रखें। जैसे पास में उसके सभी कपड़े, वुलन सहित, तौलिया आदि रखें। ताकि नहलाने के तुरंत बाद शिशु के शरीर को पूरी तरह से ढक सकें। इसके अलावा यदि वातावरण में ठंडक ज्यादा है तो बच्चे को कमरे में ही नहला लें। साथ ही नहलाने से कुछ समय पहले कमरे में हीटर लगाकर तापमान थोड़ा गर्म कर लें। ताकि नहाने के तुरंत बाद उसके शरीर के तापमान में उतार चढ़ाव न हो सके।.
DR AMAN URWAR. नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ. बच्चों के कपड़े : बारिश के मौसम में नवजात शिशु को हमेशा हल्की कॉटन के फुल स्लीव्स के कपड़े ही पहनाने चाहिए। इससे बच्चे का शरीर ठंडक और गर्मी को आसानी से एडजस्ट कर पाता है। जबकि फुल स्लीव्स के कपड़े उसे मच्छरों से बचाएंगे। याद रखें कि बच्चों के हाथों के साथ पैरों को भी कवर करें यानि पैरों में पजामी जरुर पहनाएं। इसके अलावा बच्चों के रोजाना कपड़े बदलें ऐसा करने से उन्हें इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों से बचाव होगा।.
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