[Audio] नमस्कार। स्वागत है। यह प्रस्तुति उत्तर प्रदेश गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स अधिनियम, २०१७ के अंतर्गत उत्पाद और सेवाओं के ई-वे बिल प्रणाली के बारे में है। यह पाठ्यक्रम आपको ई-वे बिल प्रणाली के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। धन्यवाद।.
[Audio] "मोड्यूल २०१७ में गए उत्तर प्रदेश वस्तु और सेवा कर अधिनियम लागू हुआ है। यह अधिनियम ई-वे बिल प्रणाली को लागू करने का संकल्प रखता है। इस तरीके से, कर सुविधाजनक और सुलभ बनाने के लिए करने की आसानी को सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत, आवश्यकता के अनुसार भरे गए बिलों के माध्यम से ई-वे बिल जनरेट किया जाएगा। आइए, हम इस मॉड्यूल की अंतिम पहुंच तक आगे बढ़ते हैं। और आपको नीचे दिए गए मूलभूत बातों को सीखने का अवसर मिलेगा। पहले, हम ई-वे बिल प्रणाली की मूलभूत अवधारणाओं को सीखेंगे। फिर, हम जानेंगे कि कौन से परिस्थितियों में ई-वे बिल जनरेट करना आवश्यक होता है और कौन से परिस्थितियों में छूट मिलती है। हम आपको इस मॉड्यूल की अंतिम पहुंच तक पहुंचने की शुभकामनाएं देते हैं। जय हिन्द।.
[Audio] ई-वे बिल प्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए, आपको इस स्लाइड को ध्यान से सुनना चाहिए। यह राज्यों में निरीक्षण और कर चोरी को रोकने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ई-वे बिल प्रणाली को जुलाई 2017 में प्रभावी रूप से लागू किया गया था। यह एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जो देश के अलग-अलग राज्यों में माल की आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए है। जो पूरे देश को एक संयुक्त और एकीकृत बाजार बनाने का उद्देश्य रखती है। इससे अब देश में कर की खपत और टैक्स चोरी की संभावना कम हो गई है। ई-वे बिल प्रणाली को अभी तक उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत लागू किया गया है। यह ई-वे बिल प्रणाली राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच माल की आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए एक उत्तम तरीका है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में गति और विकास को मिला है। इसलिए, आप सभी से अनुरोध है कि आप ई-वे बिल प्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त करें और इसके लाभों का उपयोग करें। बताया जाता है कि यह आपके कारोबार को बढ़ाने में अत्यंत मददगार होगा।.
[Audio] ी. GST के साथ यह प्रस्तावना है कि अब राज्यों के सीमाओं पर बॉर्डर चेकपोस्ट लगाने की आवश्यकता नहीं होगी। पहले, जब भी कोई ट्रक राज्य सीमा पार करता था, उसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता था। क्योंकि व्यापारियों को राज्य में माल ले जाने के लिए परमिट या फॉर्म लेने की ज़रूरत पड़ती थी। इससे समय और पैसे की बर्बादी होती थी। लेकिन GST के लागू होने के बाद, राज्य सीमाओं पार माल ले जाने के लिए परमिट या फॉर्म की आवश्यकता नहीं होगी। जो व्यापारियों को समय और पैसे की बचत करने में मदद करेगा। इससे व्यापार की लागत भी कम होगी क्योंकि पहले व्यापारियों को Central Sales Tax Act के तहत अलग-अलग प्रकार के परमिट या फॉर्म लेने होते थे। जो उन्हें जटिल और महंगा बनाता था। GST के साथ ई-वे बिल प्रणाली का लागू होना व्यापारियों को आसानी से और सस्ते तरीके से व्यापार करने का मौका देगा। सरकार ने इस प्रणाली की स्थापना करके सीमाओं पर फसे रहने वाले व्यापारियों को आसानी से माल ले जाने का मौका दिया है। ये प्रयास व्यापार को अनुकूल और सुगम बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा किए गए हैं।.
[Audio] आज के इस पार्ट नंबर 5 में हम आपको बताना चाहते हैं कि कैसे उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली का उपयोग करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है। ई-वे बिल प्रणाली ने सीमाओं पर चेकपोस्ट की आवश्यकता समाप्त कर दी है जिससे व्यवसायियों को टैक्स कार्यालय जाकर फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होती है। इसके स्थान पर ई-वे बिल ऑनलाइन जनरेट किया जा सकता है। ई-वे बिल से ट्रकों की यात्रा का समय काफी कम होता है और लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री की दक्षता बढ़ती है। ई-वे बिल से व्यापारियों को माल को हटाने और भरने में शान्ति की चिंता नहीं होती है क्योंकि ई-वे बिल इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनरेट होते हैं और इससे मैन्युअल कागज़ी कार्यवाही कम होती है। ई-वे बिल सुनिश्चित करते हैं कि माल की आवाजाही वैध इनवॉइस के साथ हो जो कर चोरी में कमी लाता है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ है जो देशभर में माल की निर्बाध आवाजाही को प्रमाणित करता है और ट्रांसपोर्टेशन के ट्रेवल टाइम को कम करके लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री की कुशलता और व्यापार को बढ़ाता है।.
[Audio] यह दस्तावेज ई-वे बिल प्रणाली की जानकारी प्रदान करता है। यह प्रणाली उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत एक ऑनलाइन सुविधा है। इसके माध्यम से, आप सुविधाजनक और गतिशील तरीके से ई-वे बिल जेनरेट कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि स्टेट और सेंट्रल अन्न मंडलों के बीच वस्तुओं के आंशिक वितरण पर उचित करों को लागू करने के लिए सही हो। आप प्रविष्ट किए गए अनुबंध और वस्तुओं के बारे में पूर्व जानकारी को इस पोर्टल के माध्यम से जोड़ सकते हैं। इससे आपको स्पष्ट और सही जानकारी मिलेगी। आपको केवल आवश्यक जानकारी भरनी होगी और संबंधित दस्तावेजों को अपलोड करना होगा। इससे आप आसानी से बिल जेनरेट कर सकेंगे, और समय और श्रम बचा सकते हैं। यह आपको अतिरिक्त बोझ से बचाता है। इस पोर्टल का उपयोग करना बहुत ही सरल है। आपको सिर्फ आवश्यक जानकारी भरनी होगी और अपनी वस्तुओं के बारे में सही जानकारी देनी होगी।.
[Audio] "ई-वे बिल : इस खंड में हम जानेंगे कि अंतर्गत उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अनुसार, ई-वे बिल कैसे तैयार किया जाता है। ई-वे बिल जनरेट करना अनिवार्य होता है किन परिस्थितियों में और किन मामलों में छूट दी जाती है। इसके साथ ही हम जानेंगे कि ई-वे बिल के भाग और इसके जनरेट करने के लिए किसे होना चाहिए जानकारी मिलेगी के तहत CGST नियम 2017 की धारा 138 के अनुसार। इस खंड में आप ई-वे बिल के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे।.
[Audio] इस खंड में हम जानेंगे कि उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली क्या है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह नियम लागू किया है जिसके तहत कुछ विशेष स्थितियों में ई-वे बिल जनरेट करना अनिवार्य होता है। ये परिस्थितियां हैं: - जब दूसरे राज्यों से आपको सामान खरीदने की अपेक्षा होती है। - जब राज्यों के भीतर ही सामान का परिवहन होता है, लेकिन फिर भी कुछ छूट मिलती है। ई-वे बिल के विभिन्न भागों पर हम चर्चा करेंगे। इसके साथ ही हम देखेंगे कि किसको ई-वे बिल जनरेट करना आवश्यक है। ये सब तब जरूरी होता है जब माल का परिवहन शुरू होने से पहले हो, चाहे वह अंतर-राज्यीय हो या राज्य के भीतर। यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि कुछ विशेष स्थितियों में माल का परिवहन शुरू होने के बाद भी ई-वे बिल जनरेट किया जा सकता है। इन स्थितियों में शामिल हैं: - जब माल को रेलवे द्वारा परिवहन किया जा रहा हो। - जब हवाई मार्ग द्वारा माल को आवागमन किया जा रहा हो। - जब हवाई जहाज़ों के माध्यम से माल को आवागमन किया जा रहा हो। इस तरह हम देख सकते हैं कि उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली क्या है और किस परिस्थिति में इसका प्रयोग करना आवश्यक होता है.
[Audio] "आज हम स्लाइड नंबर ९ पर हैं। इस स्लाइड में हम ई-वे बिल की अनिवार्यता के बारे में चर्चा करेंगे। ई-वे बिल, जो अधिनियम द्वारा निर्धारित है, जनरेट किया जाना आवश्यक है जब आप माल की आपूर्ति कर रहे हों और उसका मूल्य ₹50000 से अधिक हो। इन नियमों के अनुसार, ई-वे बिल की आवश्यकता अनिवार्य है जब आप कंसाइनमेंट कर रहे हों, चाहे वह अंतर-राज्यीय हो या राज्य के भीतर। कुछ राज्यों में, राज्य के भीतर दौरान, माल के आवागमन के लिए ई-वे बिल की अनिवार्यता से छूट दी गई है जब माल का मूल्य ₹1,00000 तक हो। लेकिन ध्यान रखें, कुछ विशेष मामलों में ई-वे बिल की आवश्यकता अनिवार्य हो सकती है और हम आगे के मॉड्यूल में इन मामलों पर चर्चा करेंगे।".
[Audio] इस स्लाइड पर हम ई-वे बिल के बारे में चर्चा करेंगे, जो उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत आता है। ई-वे बिल में उपलब्ध जानकारियाँ क्या हैं, इसके बारे में भी हम चर्चा करेंगे। प्रथम चरण में, ई-वे बिल में प्रेषक और प्राप्तकर्ता का नाम होता है। यह जानकारी माल के दोनों हस्तियों के बीच कौन जिम्मेदार है, इसे पता करने में मदद करती है। दूसरे चरण में, ई-वे बिल में परिवहन का विवरण दिया जाता है। यह जानकारी ट्रांसपोर्ट डॉक्यूमेंट नंबर और वाहन नंबर को शामिल करती है। ये दोनों जानकारियाँ माल की गतिविधि को ट्रैक करने में मदद करती हैं। तीसरे चरण में, ई-वे बिल में माल के प्रस्थान का स्थान और गंतव्य भी दिया जाता है। यह जानकारी भी माल की गतिविधि को ट्रैक करने में मदद करती है और व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाती है। हम जानते हैं कि ई-वे बिल एक स्व-नियंत्रण प्रणाली है, जो गुणवत्ता इनवॉइस की पुश्टि करती है और यह सुनिश्चित करती है कि GST की चोरी नहीं हो रही है। इससे व्यापारिक गतिविधियों में आपूर्ति की गतिविधियों की गणना सुविधाजनक बनती है। आप अपने व्यवसाय में ई-वे बिल प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं।.
[Audio] यह स्लाइड उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली को दर्शाता है। यह देश के कर सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ई-वे बिल प्रणाली में पंजीकरण की आवश्यकता पहले से GST के अंतर्गत पंजीकृत करदाताओं और ट्रांसपोर्टरों के लिए है। वे अपने लिए एक ई-वे बिल प्रणाली के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। GST के तहत पंजीकृत नहीं ट्रांसपोर्टर भी ई-वे बिल प्रणाली को प्रयोग कर सकते हैं जिससे वे किसी भी राज्य में चल रहे वाहन को आसानी से प्रवाहित कर सकें। ट्रांसपोर्टरों को एक ही नंबर के साथ GSTIN और एनरोलमेंट नंबर जनरेट करने की सुविधा है जिससे वे सभी राज्यों में अपने गतिविधियों को आसानी से समन्वित कर सकते हैं और ई-वे बिल जनरेट कर सकते हैं।.
[Audio] आप इस प्रेजेंटेशन के 12वे स्लाइड पर स्वागत करते हैं। इस स्लाइड में हम उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली के बारे में बात करेंगे। जैसा कि आप देख रहे हैं, ई-वे बिल अनिवार्य होता है जब भी कोई सप्लाई यानी माल किसी आपूर्ति का हिस्सा हो जो कि अंतर-राज्यीय या राज्य के भीतर हो, और उस माल का मूल्य ₹50000 से अधिक हो। यह अधिनियम गैर-पंजीकृत विक्रेताओं को भी सम्मिलित करता है। जब कोई पंजीकृत व्यक्ति गैर-पंजीकृत विक्रेता से माल प्राप्त करता है, तो इस स्थिति में भी ई-वे बिल बनाना अनिवार्य होता है, चाहे माल का मूल्य कुछ भी हो। अधिनियम में यह भी बताया गया है कि जब कोई पंजीकृत व्यक्ति अपने जॉब वर्क के लिए माल भेजता है, तो भी वह ई-वे बिल बनाना होता है। विशेष रूप से जब माल अंतर-राज्यीय रूप से भेजा जाता है, तो ई-वे बिल मूल्य की परवाह किए बिना आवश्यक होता है। अधिनियम में यह भी बताया गया है कि जब माल ई-कॉमर्स या कोरियर एजेंसी द्वारा भेजा जाए और उसका मूल्य ₹50000 से अधिक हो, तो ई-वे बिल संबंधित आपूर्तिकर्ता या प्राप्तकर्ता की ओर से ई-कॉमर्स/कोरियर द्वारा जनरेट किया जाना चाहिए।.
[Audio] ई-वे बिल द्वारा ई-वे दस्तावेजों को एक संख्या के रूप में जोड़ा जाता है। जब आप प्रत्येक राज्य या प्रदेश से ई-वे बिल बनाते हैं, आपको अपने साइट के साथ अपने दस्तावेजों को भी जोड़ना होता है। ई-वे बिल एक अपडेट होता है, जो हस्तशिल्प वस्तुएं भी शामिल करता है और वह दिन का दस्तावेज होता है जिस दिन आप ई-वे बिल जेनरेट करते हैं। इसका उपयोग करके, आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको सही ई-वे बिल प्राप्त हो रहा है और कोई भी गलती से बच सकते हैं। इस प्रदर्शनी में आपने उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली के बारे में सीखा है। आपने ई-वे बिल की अनिवार्यता के बारे में भी जानकारी प्राप्त की है। इस नई प्रणाली के साथ, आप अपने दस्तावेजों को आसानी से ट्रैक कर सकेंगे और अपने व्यवसाय को और उन्नत बनाने में मदद मिलेगी। हम आशा करते हैं कि आप ई-वे बिल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे और इससे आपके बिजनेस को बढ़ाने में मदद मिलेगी।.
[Audio] आज हम स्लाइड नंबर 14 के बारे में चर्चा करेंगे। यह स्लाइड उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत आने वाले ई-वे बिल प्रणाली की उप-नियम 14 से संबंधित है। इस उप-नियम के तहत कुछ वस्तुओं की श्रेणियाँ और परिस्थितियाँ दी गई हैं जहां ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं होती है। इन परिस्थितियों में गैर-यंत्रीकृत वाहन द्वारा माल का परिवहन करने के लिए साइकिल, ठेला या पशु-चालित गाड़ी जैसे वाहनों पर ई-वे बिल अनिवार्य नहीं होता। स्वीकृति दिए गए छूटों के बारे में आप GST नियम 138 के उप-नियम 14 में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस उप-नियम को समझने के लिए आपको इसे ध्यान से पढ़ना होगा और उसमें दी गई सभी श्रेणियाँ और परिस्थितियों को समझना होगा। यदि आपके पास कोई प्रश्न हैं तो आप हमारी प्रशिक्षण वीडियो के अंत में दिए गए संपर्क विवरण पर संपर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।.
[Audio] हम अब स्लाइड नंबर 15 पर पहुंच गए हैं, जो हमारे प्रेजेंटेशन के अंतिम चार्ट है। इस स्लाइड पर हम ई-वे बिल प्रणाली के बारे में विस्तार से जानेंगे। ई-वे बिल एक नया और आसान तरीका है जिससे आप अपने वस्तुओं की जांच कर सकते हैं और आसानी से उनसे छूट प्राप्त कर सकते हैं। ई-वे बिल के अंतर्गत, आप कस्टम पोर्ट, एयर कार्गो या लैंड कस्टम स्टेशन से अपनी माल को इनलैंड कंटेनर डिपो या कंटेनर फ्रेट स्टेशन तक ले जा सकते हैं। इससे आपको अपनी माल को अलग-अलग स्थानों पर भेजने के लिए अलग-अलग बिल बनाने की जरूरत नहीं होती है। अगर आप नेपाल या भूटान से अपनी माल को ट्रांजिट परिवहन करना चाहते हैं, तो भी ई-वे बिल प्रणाली का उपयोग करके आप आसानी से अपनी माल को अपनी निर्धारित स्थान पर पहुंचा सकते हैं। अगर आपकी माल को रक्षा मंत्रालय के किसी विभाग द्वारा या फिर आपके द्वारा भेजा जा रहा है, तो भी ई-वे बिल प्रणाली का उपयोग करके आसानी से अपनी माल की आवाजाही को ट्रैक कर सकते हैं। ई-वे बिल का उपयोग करने से आपको बहुत सारे फायदे हैं। इससे आपको अपने वस्तुओं की जांच करने, उनसे छूट प्राप्त करने या ट्रांजिट परिवहन करने में कोई परेशानी नहीं होगी।.
[Audio] "ई-वे बिल आपको विभिन्न वस्तुओं के लिए लागू नहीं होता है। इसमें शामिल हैं - घरेलू और गैर-घरेलू उपयोग के लिए एलपीजी गैस, पीडीएस के तहत बेचा गया मिट्टी का तेल, डाक बैगेज, प्राकृतिक/कृत्रिम मोती, आभूषण, सोना-चाँदी, मुद्रा, शराब, पेट्रोल, डीज़ल, नैचुरल गैस, एविएशन टरबाइन फ्यूल और खाली कार्गो कंटेनर। इन सभी वस्तुओं को आपको ई-वे बिल में शामिल नहीं करना है। अधिक जानकारी के लिए आप वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।.
[Audio] "ई-वे बिल प्रणाली के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्रस्तुति के इस स्लाइड नंबर से 17 जुड़े बागों के बारे में बताया जाएगा। भाग A में सप्लायर और रिसीवर के GSTIN और डिलीवरी के स्थान और पिन कोड को शामिल किया जाता है। इसमें दस्तावेज़ संख्या, माल का मूल्य, HSN कोड और परिवहन के कारण भी दर्ज करना होता है। यह सभी जानकारियां मूल्यांकन और बैकअप के लिए आवश्यक होती हैं। भाग B में आपको ई-वे बिल की स्वीकृति के बाद दर्ज किए गए डेटा को शामिल करना होता है। इसमें आपको अपने प्रोडक्ट की होमगार्ड की जानकारी, ट्रांसपोर्टर की जानकारी और गाड़ी के बारे में जानकारी दर्ज करनी होगी। इस तरह गाड़ी के माध्यम से जानकारी का खाता बना कर आप बचाव भुगतान के अधिकार को हासिल करेंगे। ई-वे बिल प्रणाली के बारे में जानकारी के बाद हम आपको इस प्रक्रिया को समझने में मदद करने वाले अन्य हिस्सों को समझाएंगे। धन्यवाद।.
[Audio] भाग B के स्लाइड नंबर अट्ठारह में आप देख सकते हैं कि ई-वे बिल प्रणाली उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के अंतर्गत कैसे काम करती है। इस भाग में आप देख सकते हैं कि यह ट्रांसपोर्टर द्वारा भरा जाता है और इसमें कौन से दस्तावेज़ शामिल होते हैं। जब यह डेटा भाग B पोर्टल पर अपलोड किया जाता है, तो एक यूनिक ई-वे बिल नंबर जनरेट होता है जो दस्तावेज़ को वैध बनाता है। यह प्रक्रिया दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखती है और टैक्स कर वस्तुओं को सुरक्षा प्रदान करती है। इस अधिनियम के तहत लगाए गए ई-वे बिल प्रणाली के उपयोग से उत्तर प्रदेश सरकार को सुरक्षा और कानूनी नियंत्रण में बेहतरीन प्रदर्शन करने में मदद मिलती है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई अक्सर सामान के अंदर लागत घटाकर अपनी जमानत को बढ़ा नहीं सकता है। आपने ई-वे बिल प्रणाली के बारे में बहुत सी जानकारियां प्राप्त की हैं। भाग B का उपयोग करके आपने ई-वे बिल प्रणाली के महत्व को समझा है और उसके द्वारा आपको यूनिक ई-वे बिल नंबर आसानी से मिल जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि आप अपने ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में सुचारू रूप से ई-वे बिल प्रणाली का उपयोग करके कानूनी तरीके से काम करते हैं।.
[Audio] "हम ई-वे बिल के दूसरे भाग में डिलीवरी विधियों को सीखेंगे। यह आपके परिवहन के साधन और लेन-देन के प्रकार पर निर्भर करता है। हमने उपलब्ध किया है एक आसान और सार्वजनिक वेशेल्काजन सिस्टम जो आपको समय बचाने में मदद करेगा। आपको अपने वाहन और डिलीवरी के विवरण भरना होगा जो आपको बिल बनाने में मदद करेगा और समय और पैसे दोनों की बचत करेगा। इसके अलावा, संलग्न वाहनों के लिए एक खास अनुभाग भी है जो आपको अपने वाहनों के लिए स्पष्ट और असली बिल प्राप्त करने में मदद करेगा। ई-वे बिल हमें अपनी डिलीवरी के लेन-देन को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा। इस प्रणाली का इस्तेमाल करके, आप समय और पैसे की बचत कर सकेंगे। ई-वे बिल से संबंधित किसी भी समस्या या सहायता के लिए, आप हमारे कस्टमर सपोर्ट से संपर्क कर सकते हैं। इस प्रणाली का इस्तेमाल करने के लिए, आपको उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत पंजीकृत होना होगा।.
[Audio] श्लाइड नंबर 20: उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली से सम्बंधित है। इससे आप जान सकते हैं कि ट्रांसपोर्टर भाग B कैसे भर सकता है। आपको भरने के लिए वैलिड ई-वे बिल की आवश्यकता होगी। अधिकृत किया जाने पर, आप ट्रांसपोर्टर भाग A को भी जनरेट कर सकते हैं। यह आपको बिल देने के लिए अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विकल्प देगा। इससे प्रेषक भाग A को भरने के लिए ई-वे बिल साथ भेजना होगा। और यदि आप अपनी माल को ट्रांसपोर्टर के माध्यम से भेज रहे हैं, तो आपको इस बिल की आवश्यकता होगी। इससे आपको अपनी माल का ट्रैकिंग सुनिश्चित होगा और प्राप्त बिल की कॉपी भी उपलब्ध होगी। अब आप जान गए हैं कि ट्रांसपोर्टर भाग B कैसे भरता है और जब आप द्वारा माल ट्रांसपोर्टर के माध्यम से भेजा जाता है तो आपको क्या करना होता है।.
[Audio] "आज हम स्लाइड नंबर 21 पर हैं, जो हमारे ट्रेनिंग वीडियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम इस स्लाइड में उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत ई-वे बिल प्रणाली के बारे में बात करेंगे। ई-वे बिल रेलवे, हवाई मार्ग या जहाज़ द्वारा माल को पहुंचाने के लिए एक डिलीवरी सिस्टम है। इस प्रणाली के अनुसार पंजीकृत सप्लायर या प्राप्तकर्ता को ई-वे बिल जनरेट करना होता है, चाहे माल का परिवहन शुरू हो चुका हो या नहीं। यह प्रक्रिया सप्लायर और प्राप्तकर्ता के बीच माल के आपूर्ति में मदद करती है। ई-वे बिल जनरेशन के लिए आपको उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इससे आपको कोई समस्या नहीं होगी और आप बिना किसी ज़्यादा प्रयास के ई-वे बिल जनरेट कर सकेंगे। हमने आज ई-वे बिल के बारे में जानकारी दी। यदि आपको इस सिस्टम से संबंधित कोई समस्या हो तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।.
[Audio] "इस स्लाइड नंबर 22 पर हम आपको बताएंगे कि उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत कैसे ई-कॉमर्स ऑपरेटर या कोरियर एजेंसी द्वारा माल भेजा जाता है। यदि सप्लायर पंजीकृत नहीं है, तो ई-कॉमर्स ऑपरेटर को ई-वे बिल जनरेट करना होता है। इससे सप्लायर को अपने माल के लिए कर देने की आवश्यकता होती है। लेकिन, यदि सप्लायर पंजीकृत है, तो वह स्वयं या फिर ई-कॉमर्स ऑपरेटर को अधिकार देकर उसके माध्यम से ई-वे बिल बनवा सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि सप्लायर अपने माल पर दिए घाटे को ई-वे बिल के माध्यम से सुधार सके। यह प्रक्रिया ई-वे बिल प्रणाली को और सुगम बनाती है और सप्लायर को समय और प्रयास से बचाती है।.
[Audio] प्रिय दर्शकों, हमने इस प्रशिक्षण वीडियो के माध्यम से उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अन्तर्गत ई-वे बिल प्रणाली के बारे में जाना। यह विधेयक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू किया गया है जो ई-वे बिल प्रणाली के माध्यम से इंटरनेट या नागरिक सेवा केंद्रों के माध्यम से वस्तु एवं सेवाओं को कर लेने का प्रणाली प्रदान करता है। यह विधेयक न केवल ई-वे बिल प्रणाली को सरल बनाता है, बल्कि सर्कार के लिए भी कोष वसूली प्रक्रिया को सुगम बनाता है। इस नए प्रणाली के अंतर्गत नागरिकों को अलग से रजिस्टर करने की आवश्यकता नहीं होती है और न कोई अतिरिक्त शुल्क देना होता है। यह एक आसान और टाइम सेविंग प्रणाली है, जो अनुमानित 10 हजार करोड़ रुपये के जैतान और 5000 करोड़ रुपये का सरकारी खर्च कम करेगी। इस तरह, यह विधेयक न केवल देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि सरकार और नागरिकों के बीच सुविधाजनक और सुरक्षित भुगतान प्रणाली को स्थापित करेगा। अतः हम उम्मीद करते हैं कि आज का वीडियो आपको प्रासंगिक और उपयोगी लगा होगा। धन्यवाद।.