द्वन्द्व समास

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Scene 1 (0s)

द्वन्द्व समास. चार्थे द्वन्द्व : जिस समस्‍त पद में दोनों पदों की प्रधानता होती है वहाँ द्वन्‍द्व समास होता है। इसके विग्रह में 'च' का प्रयोग होता है, जैसे— लवश्‍च कुशश्‍च = लवकुशौ। यहाँ जितनी प्रधानता 'लव' की है उतनी ही प्रधानता 'कुश' की भी है। द्वन्‍द्व समास के दो रूप माने गए हैं— (1) इतरेतर द्वन्‍द्व (2) समाहार.

Scene 2 (1m 7s)

इतरेतर द्वन्‍द. जिस समस्‍त पद में दोनों पदों का अर्थ अलग-अलग होता है, उसे इतरेतर द्वन्‍द्व कहते हैं। समस्‍त पद में संख्‍या के अनुसार द्विवचन या बहुवचन होता है, किन्‍तु लिङ्ग परिवर्तन परवर्ती या उत्तरवर्ती पद केअनुसार होता है। उदाहरण पार्वती च परमेश्‍वरश्‍च = पार्वतीपरमेश्‍वरौ रामश्‍च कृष्‍णश्‍च = रामकृष्‍णौ धर्मश्‍च अर्थश्‍च कामश्‍च मोक्षश्‍च = धर्मार्थकाममोक्षा:.

Scene 3 (2m 3s)

समाहार द्वन्‍द. जहाँ अनेक वस्‍तुओं का संग्रह दिखाया जाता है अर्थात् समूह की प्रधानता रहती है, वहाँ समाहार द्वन्‍द्व समास होता है। उदाहरण— आहारश्‍च निद्रा च भयं च इति, एतेषां समाहार = आहारनिद्राभयम् पाणी च पादौ च = पाणिपादम् यवाश्‍च चणकाश्‍च = यवचणकम्.

Scene 4 (2m 35s)

बहुव्रीहि समास. जिस समास में पूर्व तथा उत्तर दोनों पद प्रधान न होकर किसी अन्‍य पद की प्रधानता होती है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। विग्रह करते समय इसमें 'यस्‍य स:' आदि लगाया जाता है उदाहरण— महान्‍तौ बाहू यस्‍य स: = महाबाहु: (विष्‍णु:) दश आननानि यस्‍य स: = दशानन: (रावण:) पीतम् सअम्बरम् यस्य स: = पीताम्‍बर: (कृष्‍ण: ).

Scene 5 (3m 30s)

द्वन्‍द्व समास के सन्‍दर्भ में विशेष बातें— ह्रस्‍व इकारान्‍त तथा ह्रस्‍व उकारान्‍त पद को समस्‍त पद में पहले रखा जाता है। यथा— वायुश्च सूर्यश्च = वायुसूर्यौ द्वन्‍द्व में स्‍वरादि और ह्रस्‍व अकारान्‍त पद को पहले रखा जाता है। यथा— ईशश्‍च कृष्‍णश्‍च = ईशकृष्‍णौ । कम स्‍वर वर्णों वाले पद को पहले रखा जाता है। यथा— रामश्‍च केशवश्‍च = रामकेशवौ। ह्रस्‍व स्‍वर वाले पद को पहले रखते हैं। यथा— कुशश्‍च काशश्‍च = कुशकाशम् श्रेष्‍ठ या पज्‍यू पदों का प्रयोग पहले होता है। यथा— माता च पिता च = मातापितरौ (पिता की अपेक्षा माता अधिक पूजनीय है).

Scene 6 (4m 36s)

एकशेष जहाँ अन्‍य पदों का लोप होकर एक ही पद शेष बचे, वहाँ एकशेष होता है। यह समास से भिन्न वृत्ती है। उदाहरण— बालकश्‍च बालकश्‍च बालकश्‍च = बालका:। एकशेष में पुल्लिलिङ्ग और स्‍त्रीलिङ्ग पदों में से पुल्लिलिङ्ग पद ही शेष रहता है। यथा— माता च पिता च = पितरौ दुहिता च पुत्रश्‍च = पुत्रौ --XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX-.